Today we are going to learn the working of this cable.
Let’s Start
आधुनिक युग में हम अपने जरूरी डाटा को एक जगह से दूसरी जगह पर बहुत जल्दी पहुँचाने के लिए optical Fiber Cable(ऑप्टिकल फाइबर केबल) का उपयोग करते हैं। इस तकनीक के माध्यम से हम अपने डाटा को दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक कुछ ही पलों में पहुँचा सकतें हैं । यह तकनीक बहुत ही तेज व सरल है। यह तकनीक refraction(रिफरेक्शन) के सिद्धान्त पर कार्य करती है। जब हम prism(परीजम) के एक तरफ प्रकाश की किरण डालते हैं तो दूसरी तरफ से निकलते समय वह थोड़ा नीचे की ओर मुड़ जाती है, ऐसा होने का कारण है refractive index(रिफरेकटिव इंडेक्स)
चलिये अब हम समझते हैं कि refractive index क्या होता है जब प्रकाश एक medium(माध्यम) से दूसरे माध्यम मे प्रवेश करता है(जैसे हवा से पानी में) तो वह थोड़ा मुड जाता है । प्रकाश के मुडने की दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि वह कम घनत्व वाले माध्यम से अधिक घनत्व वाले माध्यम में जा रहा है या अधिक घनत्व वाले माध्यम से कम घनत्व वाले माध्यम में जा रहा है । इसके बाद दूसरी महत्वपूर्ण बात है critical angle(क्रिटिकल एन्गल) – जिस कोण(angle) से हम प्रकाश को prism की सतह पर डालते हैं उस कोण को incident angle कहते हैं, अगर हम इस कोण को कम कर दे एक निश्चित कोण पर पहुँचाने के बाद दूसरी तरफ से निकलने वाला प्रकाश वापस prism के अन्दर चला जाएगा ओर यहाँ पर बनने वाले कोण को critical angle कहते हैं । इस पूरी प्रक्रिया को total internal reflection (टोटल इंटरनल रिफरेक्शन) कहते हैं।
Optical Fiber Cable(ऑप्टिकल फाइबर केबल) में भी इसी प्रकार से कार्य किया जाता है। इसके अन्दर डाटा को प्रकाश के रूप में ले जाया जाता है। Optical Fiber Cable एक प्रकार की cylindrical केबल ही होती है जब हम इसके एक सिरे पर प्रकाश को डालते हैं तो वह परावर्तित होता होता दूसरे सिरे पर पहुँच जाता है ओर इस काम में समय भी बहुत कम लगता है।इसी कारण डाटा के आदान प्रदान के लिए इसे सबसे अच्छी तकनीक माना जाता है । इस तरह हम कह सकते हैं कि इसके अन्दर हम प्रकाश को कैद करके रखते हैं। Optical Fiber Cable के बाहर की तरफ low refractive index मे हवा के वजाय हम एक परत या फिर एक low refractive index वाले glass(ग्लाश) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं इसे cladding (कलैडिन्ग) कहा जाता है। इसके अन्दर के भाग कोर ओर बाहरी भाग cladding के मिलने के बाद optical Fiber Cable का निर्माण होता है । इनहे बनाने के लिए आमतौर पर सिलिका का उपयोग किया जाता है तथा इसके अन्दर कुछ अन्य प्रकार की डोपिंग भी मिलायी जाती है। लेकिन optical Fiber Cable किसी भी डाटा को 100किलोमीटर से अधिक दुरी तक नहीं ले जा सकते हैं इसके पीछे मुख्य कारण है सिग्नल की strength(सट्रेन्थ) का कम हो जाना। इससे बचने के लिए हम amplifier(एम्पलीफायर) का उपयोग करते हैं। इसे एक तय दुरी के बाद optical Fiber Cable से जोड़ दिया जाता है । इस प्रकार हम अपने डाटा को ज्यादा से ज्यादा दुरी तक पहुँचा सकतें हैं।
optical Fiber Cable में डाटा के आदान प्रदान के लिए सबसे पहले हमारा मोबाइल उस डाटा को बाइनरी नंबर में बदल लेता है ओर विद्युत तरंगों के माध्यम से मोबाइल टावर तक भेज देता है ये 0 कोड को भेजने के लिए low frequency signals ओर 1 कोड को भेजने के लिए high frequency signals का उपयोग करता है । बाद में मोबाइल टावर इन्हें पहचान कर इसी रूप में आगे भेज देता है । लेकिन कभी कोई अलग-अलग सिग्नल आपस में ना मिल जाए इसके लिए बहुत सारे optical Fiber Cable का जाल पूरे विश्व में फैलाया गया है । इन्हें भूमि के अन्दर तथा समुद्र के अन्दर बिछाया गया है । इनके रख रखाव के लिए भी कई कम्पनियां कार्य कर रही हैं । इन कम्पनियों के मुख्य उदाहरण है Verizon, AT&T, orange इत्यादि ।
भूमि के अन्दर तथा समुद्र के अन्दर बिछाई गई केबल में सुरक्षा के लिए एक मजबूत परत का इस्तेमाल किया जाता है ।इसके साथ साथ केबल में एक तांबे के तार का भी इस्तेमाल किया जाता है इसके द्वारा विद्युत का निर्माण करके amplifier तक पहुँचाई जाती है । ओर इस हम हर जगह अपने डाटा को पहुँचा सकतें हैं
अगर हम optical Fiber Cable की तुलना copper cable से करे तो हम पायेंगे कि ये copper Cable से बहुत तेज है ओर इसके अन्दर सिग्नल के आपस में मिलकर खराब होने का डर भी नहीं होता है । Copper Cable के अन्दर इलैक्ट्रान के प्रवाह के कारण केबल के बाहर एक विद्युत क्षेत्र बन जाता है लेकिन optical Fiber Cable में ऐसा कुछ नहीं होता इसी कारण डाटा के आदान प्रदान के लिए ये सबसे उत्तम तकनीक है ।